सर जॉर्ज बार्लो
- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सेवा के लिए उनका यह कार्यकाल काफ़ी अल्प था।
- लॉर्ड वेलेज़ली (1798-1805 ई.) के प्रशासनकाल में पदोन्नति करके वह कौंसिल के सदस्य बन गये थे।
- अक्टूबर 1805 ई. में लॉर्ड कॉर्नवॉलिस की मृत्यु के समय उन्हें कौंसिल का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते कार्यकारी गवर्नर-जनरल नियुक्त कर दिया गया।
- गवर्नर-जनरल के इस पद पर वह 1807 ई. तक बने रहे थे।
- वह अपने पूर्वाधिकारी लॉर्ड कॉर्नवॉलिस द्वारा अपनाई गई अहस्तक्षेप की नीति के अनुगामी बने रहे।
- उनकी अहस्तक्षेप की नीति से ख़र्च में कमी हुई और वार्षिक बचत होने लगी।
- इससे कम्पनी के डाइरेक्टर्स ख़ुश हुए, किन्तु उनकी दुर्बल नीतियों से भारत तथा इंग्लैंण्ड के अंग्रेज़ इतने नाराज़ हुए कि, गवर्नर-जनरल के पद पर उनकी नियुक्ति की पुष्टि नहीं की गई और लॉर्ड मिण्टो प्रथम को उनके स्थान पर भेज दिया गया।
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