राष्ट्रीय मतदाता दिवस
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विवरण
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'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' भारत में मनाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों में से एक है।
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तिथि
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देश
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मुख्य उद्देश्य
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इस दिवस का उद्देश्य देश में मतदाताओं की संख्या बढ़ाना, विशेषकर नए मतदाताओं को इससे जोड़ना है।
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संबंधित लेख
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अन्य जानकारी
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'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के सिलसले में निर्वाचन आयोग समूचे देश में शिक्षित मतदाताओं, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए व्यापक और सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और मतदान भागीदारी अभियान चलाता है।
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शुरुआत
'भारत निर्वाचन आयोग' का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। 'भारत सरकार' ने राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस '25 जनवरी' को ही वर्ष 2011 से 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी।[1]
उद्देश्य
25 जनवरी, 2015 को 'सरल पंजीकरण और सरल सुधार' थीम के साथ पाँचवाँ 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' है। 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य अधिक मतदाता, विशेष रूप से नए मतदाता बनाना है। इसके लिए इस अवसर को सार्वभौम वयस्क मतदान को पूर्ण वास्तविकता बनाना और इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्ता को बढ़ाना है। यह दिवस मतदाताओं में मतदान प्रक्रिया में कारगर भागीदारी के बारे में जानकारी फैलाने के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।[2]
राष्ट्रीय मतदाता समारोह
पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने वर्ष 2012 में विज्ञान भवन में द्वितीय राष्ट्रीय मतदाता समारोह की अध्यक्षता की थी और दिल्ली के नए एवं पंजीकृत 20 मतदाताओं को सचित्र मतदाता पहचान पत्र प्रदान किये। ये मतदाता समाज के विभिन्न वर्गों से लिए गए थे और उन्हें एक बैज भी दिया गया था, जिस पर अंकित था "मतदाता होने का गर्व - मतदान के लिए तैयार"। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' की शपथ भी दिलाई गई। डॉ. कलाम ने ज़िला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ), पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को सर्वोत्तम निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से और डीईओ/एसपी के अलावा अन्य अधिकारियों को सर्वोत्तम निर्वाचन प्रक्रिया अपनाने में असाधारण कार्य करने के लिए विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया।
युवा मतदाता
भारत में मतदान आधारित लोकतंत्र के लिए 25 जनवरी पहले से ही एक ऐतिहासिक अवसर है। मतदाताओं के पंजीकरण संबंधी खबरों के अनुसार देशभर में लगभग 3.83 करोड़ नए पंजीकरण किए गए। इनमें से 1.11 करोड़ मतदाता 18-19 वर्ष आयु समूह के हैं, जो 1 जनवरी, 2012 को बनाये गए। यह मतदाता योग्यता की तिथि है। पिछले वर्ष 52 लाख युवा मतदाता बनाए गए थे, जिन्होंने 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली थी। यह विश्व में किसी स्थान पर एक दिन में युवाओं के सबसे बड़े सशक्तीकरण को लक्षित करता है।
चुनाव आयोजन
गत 60 वर्षों के दौरान
निर्वाचन आयोग ने लोक सभा के लिए 15 आम चुनाव और राज्यों की विधान सभाओं के लिए 331 आम चुनाव आयोजित किए हैं। आयोग की यात्रा के दौरान उसके कार्य की गुणवत्ता और स्तर में भी परिवर्तन सबको नजर आया है। 1962 में जहां मतदान की प्रक्रिया पर्ची डालने की प्रणाली थी, वहां 2004 से मतदान की इलैक्ट्रॉनिक मशीनों पर आधारित वर्तमान प्रणाली शुरू की गई। बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों का स्थान एकल सदस्यीय निर्वाचन ने ले लिया है। छपी हुई मतदाता सूचियों का स्थान अब कम्प्यूट्रीकृत फोटो-मतदाता सूचियों ने ले लिया है। मतदाताओं का सचित्र पहचान पत्र अब सभी नागरिकों को प्राप्त हो गया है। यह 2009 के आम चुनावों के समय 582 मिलियन से अधिक मतदाताओं को जारी किए गए थे।[2]
मतदाताओं की पहचान तथा शपथ
अप्रैल-मई 2009 में कराए गए 15वीं लोक सभा के चुनाव विश्व में प्रबंधन की सबसे बड़ी घटना बताई गई है। इसमें 714 मिलियन मतदाता, 8 लाख 35 हज़ार मतदान केन्द्र, 12 लाख मतदान की इलेक्ट्रोनिक मशीनों और 11 मिलियन मतदान कर्मचारियों ने भाग लिया था। आयोग ने पाया कि मतदाता सूची से 18 साल के नये मतदाताओं का नाम लापता है। कुछ मामलों में उनकी भागीदारी 20 से 25 प्रतिशत तक कम है। इस समस्या से प्रभावकारी तरीके से निपटने के लिए आयोग ने फैसला किया कि देश के 8.5 लाख मतदान केन्द्रों में हर वर्ष 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले सभी मतदाताओं की पहचान की जाये। पंजीकरण के अलावा मतदाता सूची में शामिल किये गये इन मतदाताओं को निम्न शपथ दिलाई जाए-
"हम भारत के नागरिक, लोकतंत्र में आस्था रखने वाले शपथ लेते हैं कि हम देश की स्वतंत्रत, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतांत्रिक परम्परा को बरकरार रखेंगे। प्रत्येक चुनाव में धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, भाषा आधार पर प्रभावित हुए बिना निर्भीक होकर मतदान करेंगे।"
चुनाव आयोग का लक्ष्य
'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए नए योग्य मतदाताओं तक पहुंचने और 1 जनवरी, 2012 को किए गए मतदाताओं की संशोधित सूचियों में उन्हें पंजीकृत करने के लिए देशभर में एक विशेष अभियान चलाया गया। सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आयोग ने निर्देश दिए कि 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक युवा को मतदाता बनाया जाय। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक महिलाओं को मतदाता बनाने के लिए विशेष अभियान शुरू किए जाएं।[2]
'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के सिलसले में निर्वाचन आयोग समूचे देश में शिक्षित मतदाताओं, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए व्यापक और सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और मतदान भागीदारी अभियान चलाता रहा है। प्रतिष्ठित हस्तियों यथा ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, महेन्द्र सिंह धोनी के संदेश रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनमें मतदाताओ को पंजीकरण कराने को कहा गया है। निस्संदेह आयोग का संदेश उच्च और स्पष्ट है और यह तब तक विश्राम नहीं करेगा, जब तक प्रत्येक योग्य मतदाता स्वेच्छा से मतदान करने न लग जाए।
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