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Friday, 8 February 2019

कल्पना दत्त (जन्म: 27 जुलाई, 1913; मृत्यु: 8 फ़रवरी, 1995)

कल्पना दत्त  

कल्पना दत्त
कल्पना दत्त
पूरा नामकल्पना दत्त
अन्य नामकल्पना जोशी
जन्म27 जुलाई1913
जन्म भूमिचटगांव (अब बांग्लादेश), बंगाल
मृत्यु8 फ़रवरी1995
मृत्यु स्थानकलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल
पति/पत्नीपूरन चंद जोशी
नागरिकताभारतीय
जेल यात्राफ़रवरी1934 ई. में 21 वर्ष की कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सज़ा हुई, लेकिन 1937 ई. में जब पहली बार प्रदेशों में भारतीय मंत्रिमंडल बने, तब गांधी जीरवीन्द्रनाथ टैगोर आदि के विशेष प्रयत्नों से कल्पना जेल से बाहर आ सकीं।
अन्य जानकारीसितम्बर1979 ई. में कल्पना दत्त को पुणेमें 'वीर महिला' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
कल्पना दत्त (अंग्रेज़ीKalpana Dutt, जन्म: 27 जुलाई1913; मृत्यु: 8 फ़रवरी1995) देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाली महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए क्रांतिकारी सूर्यसेनके दल से नाता जोड़ लिया था। 1933 ई. में कल्पना दत्त पुलिस से मुठभेड़ होने पर गिरफ़्तार कर ली गई थीं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रयत्नों से ही वह जेल से बाहर आ पाई थीं। अपने महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कल्पना दत्त को 'वीर महिला' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

जन्म तथा क्रांतिकारी गतिविधियाँ

कल्पना दत्त का जन्म चटगांव (अब बांग्लादेश) के श्रीपुर गांव में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। चटगांव में आरम्भिक शिक्षा के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता आईं। प्रसिद्ध क्रान्तिकारियों की जीवनियाँ पढ़कर वह प्रभावित हुईं और शीघ्र ही स्वयं भी कुछ करने के लिए आतुर हो उठीं। 18 अप्रैल1930 ई. को 'चटगांव शस्त्रागार लूट' की घटना होते ही कल्पना दत्त कोलकाता से वापस चटगांव चली गईं और क्रान्तिकारी सूर्यसेन के दल से संपर्क कर लिया। वह वेश बदलकर इन लोगों को गोला-बारूद आदि पहुँचाया करती थीं। इस बीच उन्होंने निशाना लगाने का भी अभ्यास किया।

कारावास की सज़ा

कल्पना और उनके साथियों ने क्रान्तिकारियों का मुकदमा सुनने वाली अदालत के भवन को और जेल की दीवार उड़ाने की योजना बनाई। लेकिन पुलिस को सूचना मिल जाने के कारण इस पर अमल नहीं हो सका। पुरुष वेश में घूमती कल्पना दत्त गिरफ्तार कर ली गईं, पर अभियोग सिद्ध न होने पर उन्हें छोड़ दिया गया। उनके घर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। लेकिन कल्पना पुलिस को चकमा देकर घर से निकलकर क्रान्तिकारी सूर्यसेन से जा मिलीं। सूर्यसेन गिरफ्तार कर लिये गए और मई1933 ई. में कुछ समय तक पुलिस और क्रान्तिकारियों के बीच सशस्त्र मुकाबला होने के बाद कल्पना दत्त भी गिरफ्तार हो गईं। मुकदमा चला और फ़रवरी1934 ई. में सूर्यसेनतथा तारकेश्वर दस्तीकार को फाँसी की और 21 वर्ष की कल्पना दत्त को आजीवन कारावास की सज़ा हो गई।

रिहाई तथा सम्मान

1937 ई. में जब पहली बार प्रदेशों में भारतीय मंत्रिमंडल बने, तब गांधी जीरवीन्द्रनाथ टैगोर आदि के विशेष प्रयत्नों से कल्पना जेल से बाहर आ सकीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वह कम्युनिस्ट पार्टी में सम्मिलित हो गईं और 1943 ई. में उनका कम्युनिस्ट नेता पूरन चंद जोशी से विवाह हो गया और वह कल्पना जोशी बन गईं। बाद में कल्पना बंगाल से दिल्ली आ गईं और 'इंडो सोवियत सांस्कृतिक सोसायटी' में काम करने लगीं। सितम्बर1979 ई. में कल्पना जोशी को पुणे में 'वीर महिला' की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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