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Monday, 25 December 2017

सुशासन दिवस प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर 

सुशासन दिवस



विवरण

'सुशासन दिवस' भारत के महत्त्वपूर्ण दिवसों में से एक है। यह दिवस पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जीके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

तिथि

25 दिसम्बर

शुरुआत

2014

उद्देश्य

सरकारी प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाकर देश में एक "खुला और जवाबदेह प्रशासन" प्रदान करने के लिए।

संबंधित लेख

अटल बिहारी वाजपेयीमदन मोहन मालवीय

अन्य जानकारी

इस दिन स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी कई गतिविधियों में भाग लेते हैं, जैसे: निबंध लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद, समूह चर्चा, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, खेल आदि।

अद्यतन‎

03:06, 15 नवम्बर-2016 (IST)

सुशासन दिवस (अंग्रेज़ी: Good Governance Day) प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को पूरे भारत में मनाया जाता है। असल में 25 दिसम्बर हमारे पूर्व प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिवस है, जो उन्हें हमेशा के लिये आदर और सम्मान देने के लिये सुशासन दिवस के रूप में घोषित किया गया है। भारत सरकार द्वारा यह घोषित किया गया है कि '25 दिसम्बर' (सुशासन दिवस) को पूरे दिन काम किया जायेगा।

इतिहास

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म दिवस 2014 में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा हर साल पूरे भारत में 'सुशासन दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गयी थी। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाना भारतीय लोगों के लिये बहुत सम्मान की बात है। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर सुशासन दिवस की पहली घोषणा भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई थी। सुशासन दिवस की घोषणा "ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन” के आधार पर की गयी है। ये एक कार्यक्रम है जो सभी सरकारी अधिकारियों को बैठक और संचार के लिये आमंत्रित करके बाद में मुख्य समारोह में शामिल होकर मनाया जाता है। यहाँ एक दिन की लंबी प्रदर्शनी का आयोजन करके और सरकारी अधिकारियों को भाग लेने के साथ ही ई-गवर्नेंस और प्रदर्शनी के बारे में कुछ सुझाव देने के लिये आमंत्रित करके मनाया जाता है। संयोग से भारत में सुशासन दिवस की घोषणा 25 दिसम्बर क्रिसमस उत्सव (एक राजपत्रित अवकाश) से मेल खाती है, हालांकि सुशासन दिवस पर पूरे दिन काम करने की घोषणा की गयी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के 90वें जन्मदिन पर ये घोषणा की गयी थी।[1]

कैसे मनाते हैं?



सुशासन दिवस

राजग सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय की जयंती पर हर साल 25 दिसंबर को 'सुशासन दिवस' मनाने की घोषणा की है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करके को मनाने का संदेश भेजा गया। स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी कई गतिविधियों में भाग लेते हैं, जैसे: निबंध लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद, समूह चर्चा, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, खेल आदि। विद्यार्थीयों की सुगमता के लिए प्रतियोगिताओं की ऑनलाइन व्यवस्था भी की गयी है, जैसे: ऑनलाइन निबंध लेखन, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, आदि। ये घोषणा की गयी कि के दो दिन (25-26 दिसम्बर) चलने वाले समारोह के दौरान सभी विद्यार्थी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। इस बात कि भी पुष्टि की गयी कि 25 दिसम्बर को ऑनलाइन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा तो विद्यालयों का खुलना आवश्यक नहीं है। विद्यार्थी चाहे तो प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं और नहीं भी, क्योंकि ऑंनलाइन प्रतियोगिता स्वैच्छिक है। ये विद्यार्थीयों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये बाध्य करने का समारोह नहीं है। विद्यार्थीयों का भाग लेना या न लेना उनकी अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। छात्र अपने घरों या अन्य स्थानों से जहां वो इंटरनेट प्रयोग कर सकते हैं, प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं।

उद्देश्य

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में बहुत-से उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये घोषित किया गया है-

सरकारी प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाकर देश में एक "खुला और जवाबदेह प्रशासन" प्रदान करने के लिए।

देश में एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन मुहैया कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए मनाया जाता है।

यह भारत में आम नागरिकों के कल्याण और भलाई को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

सरकार के कामकाज के मानकीकरण के साथ-साथ यह भारतीय लोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी और जवाबदेह शासन के लिए मनाया जाता है।

यह भारत में सुशासन के एक मिशन को पूरा करने के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों को लागू करने के लिए मनाया जाता है।

यह सरकारी अधिकारियों को आंतरिक प्रक्रियाओं और उनके काम के लिये प्रतिबद्ध करने के लिये मनाया जाता है।

सुशासन के माध्यम से देश में वृद्धि और विकास को बढ़ाने के लिए।

नागरिकों को सरकार के करीब लाकर सुशासन की प्रक्रिया में उन्हें सक्रिय भागीदार बनाने के लिए।[1]


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