अशोक के शासनकाल का घटनाक्रम - Timeline of Ashoka's Regime
Timeline of Ashoka's Regime
अशोक का राज्यारोहण पिता बिंदुसार के निधन के उपरान्त मगध के सिंहासन पर 268 ई.पू. में हुआ.
अशोक के शासन के 8वें वर्ष में (दीर्घ शिलालेख -XIII) कलिंग विजय के बाद अशोक ने क्षोभ व्यक्त किया. युद्ध का अंत कर धम्म के मार्ग पर चलने की घोषणा की.
नवम वर्ष में बौद्ध धर्म स्वीकारा (लघु शिलालेख - I तथा II) परन्तु वह धर्म के प्रति उतना सक्रिय नहीं रहा.
दशम वर्ष में बोधगया (दीर्घ शिलालेख/III) की यात्रा की और पूर्ण रूप से वह बौद्ध हो गया.
राजकीय शिकार की प्रथा समाप्त कर दी और धम्म यात्रा प्रारम्भ की.
11वें-12वें शासन वर्ष में उसने धम्म पर मौखिक घोषनाएँ करनी शुरू की.
विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों में सद्भाव स्थापित किया (लघु शिलालेख)
पशुवध बंद किया (दीर्घ शिलालेख-I).
भारत और विदेशों में अस्पताल खोले और वृक्ष लगवाए (दीर्घ शिलालेख-II)
सीमाओं पर अपने सद्भाव का आश्वासन दिया (लघु कलिंग शिलालेख -II)
विधि और न्याय से शासन करने का व्रत किया (पृथक कलिंग शिलालेख)
धार्मिक सम्प्रदायों में आपसी विरोधों को रोकने का प्रयास किया (दीर्घ शिलालेख - XII)
बारहवें वर्ष (दीर्घ स्तम्भ लेख - VI) में प्रथम राजाज्ञा अभिलिखित की और धम्म आदेश जारी करने शुरू किये.
उसी वर्ष (दीर्घ शिलालेख - IV) धम्म प्रसार के लिए एक जन-प्रदर्शन किया.
उसी वर्ष आजीविकों को (गुहा लेख - I, II) गुफाएँ प्रदान कीं.
उसी वर्ष (दीर्घ शिलालेख - III) अधिकारीयों को अपने-अपने क्षेत्र में भ्रमण का आदेश दिया.
13वें वर्ष में (दीर्घ शिलालेख - V) धम्म-महामात्रों की नियुक्ति की.
मुनि के स्तूप को दुगुना बढ़ाया (निगलिवा - दीर्घ स्तम्भ लेख)
19वें वर्ष में (गुज लेख -III) आजीविकों को तीसरी गुफा प्रदान की.
20वें वर्ष में लुम्बिनी (दीर्घ स्तम्भ लेख-निगलिवा शिलालेख) की यात्रा के मध्य एक स्तम्भ स्थापित करके बलि का अन्त और भू-राजस्व भाग 1/8 कर दिया.
22वें और 24वें वर्षों के मध्य विरुद्ध आचरण वाले बौद्ध भिक्षुओं को विहारों से निकालने का उल्लेख मिलता है और बौद्धों द्वारा गहन अध्ययन की संस्तुति का पता चलता है और द्वितीय महारानी कारूवाकी के दानों की घोषणा की सूचना मिलती है. उसके शासन के 27वें वर्ष में दान को संगठित रूप देने और विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के कार्यकलाप की देखभाल के लिए महामात्रों की नियुक्ति का उल्लेख मिलता है.
26वें वर्ष प्रथम छह स्तम्भ-राज्यादेश जारी (दीर्घ स्तम्भ लेख - IV) किये, जिला अधिकारियों को जन-कल्याण के कार्य करने एवं न्यायपूर्ण निष्पक्ष शासन करने को उद्बोधन दिया (दीर्घ स्तम्भलेख - IV और V).
26वें वर्ष के बाद (महारानी का स्तम्भ अभिलेख) अपनी दूसरी रानी के द्वारा दिए गए उपहारों के बारे में अभिलिखित कराया.
27वें वर्ष में (दीर्घ स्तम्भ लेख - VII) 7वाँ स्तम्भ अभिलेख जारी किया.
संभवतः 27वें वर्ष में (सारनाथ स्तम्भ अभिलेख के बाद) नियम-विरुद्ध प्रवृत्तियों की भर्त्सना की.
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