अशोक के विषय में स्मरणीय तथ्य : Important Facts about Ashoka
अशोक के विषय में Important Facts
अशोक का सर्वाधिक पसंदीदा पंक्षी मयूर था.
अशोक के जीवित भाइयों और बहनों के परिवारों का उल्लेख पांचवे शिलालेख में मिलता है.
राजतरंगिणी के अनुसार बौद्ध धर्म स्वीकार करने के पूर्व अशोक ब्राह्मण धर्म (शिव का उपासक) का अनुयायी था.
दिव्यावदान के अनुसार, अशोक को बौद्ध धर्म में उपगुप्त ने दीक्षित किया था.
अशोक को उसके शासन के चौथे वर्ष निग्रोध नामक सात वर्षीय भिक्षु ने बौद्ध मत में दीक्षित किया था, वह उल्लेख सिंहली अनुश्रुतियों (दीपवंश और महावंश) में होता है.
वृहतशिलालेख पांच में अशोक द्वारा बौद्ध ग्रहण करने के बाद राजकीय पाकशाला में दो मयूर और एक हिरन का वध किये जाने का उल्लेख मिलता है.
बौद्ध साहित्य में प्रयुक्त भिक्षु गतिक शब्दों का प्रयोग संघ में प्रविष्ट होने के लिए उन्मुख होने के सन्दर्भ में किया गया है.
प्रथम लघु शिलालेक के अनुसार, बौद्ध धर्म ग्रहण के बाद अशोक 2 वर्ष 6 माह तक एक साधारण उपासक था.
भाब्रू (बैराट, राजस्थान) से प्राप्त लघु शिलालेख जिसमें अशोक स्पष्टतः बुद्ध, धम्म और संघ का अभिवादन करता है.
सारनाथ, साँची और कौशाम्बी के लघु स्तम्भों पर उत्कीर्ण शासनादेश अशोक को बौद्ध सिद्ध करते हैं.
अशोक साँची, सारनाथ और कौशाम्बी लघु स्तम्भ लेखों में बौद्ध संघ में फूट डालने वाले भिक्षु और भिक्षुणियों को निष्कासन चेतावनी देता है.
बौद्ध संघ से सम्बंधित पबज्जा (प्रवज्या-संन्यास) नाम की प्रथा, अशोक के समय तक पर्याप्त सुदृढ़ हो चुकी थी.
दिव्यावदान से अशोक द्वारा खस देश (नेपाल) के विजय का उल्लेख मिलता है.
अशोक ने पालि भाषा और ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया.
अशोक के अभिलेखों में प्राकृत प्रयुक्त भाषा है.
तीसरे शिलालेख में अशोक ने अल्प व्यय और अल्प संग्रह को धम्म का अंग माना है.
गार्गी संहिता ग्रन्थ में धम्म विजय का पालन करने के कारण अशोक की आलोचना की गई है.
स्तम्भ अभिलेख न. 7 को अशोक के शासनकाल की अंतिम घोषणा माना जाता है.
दिव्यावदान के अनुसार अशोक अपने जीवन के अंतिम समय में, कुक्कुटाराम विहार को उपहार देना चाहता था.
अशोक की राजत्व सबंधी अवधारणा का विवेचन छठे शिलालेख में प्राप्त होती है.
अशोक ने कश्मीर में श्रीनगर का निर्माण कराया था.
दिव्यावदान के अनुसार अशोक ने नेपाल में देवपाटन नगर की स्थापना की. तारानाथ के विवरण के अनुसार अशोक ने नेपाल में 'ललितपत्तन” नामक नगर बसाया था और उसकी बेटी चारुमती ने देवपत्तन नामक नगर बसाया था.
ब्रह्मगिरि शिलालेख में अशोक द्वारा 256 रातें धम्म यात्रा में बिताने का उल्लेख है.
अशोक के धम्म की परिभाषा 'राहुलोवावसुत्त” ग्रंथ से ली गई है.
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