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Thursday 20 September 2018

आर्यन्स का भारत में आगमन


आर्यन्स का भारत में आगमन





घटना क्रम





1500 B .C और 600 B .C के युग को पूर्व वैदिक युग (ऋग वैदिक काल) तथा बाद के वैदिक युग में विभाजित किया गया |





पूर्व वैदिक काल : 1500 B .C – 1000 B . C ; यह वह युग था जब आर्यन्स भारत पर आक्रमण कर सकते थे |





बाद का वैदिक युग : 1000 B . C – 600 B . C





प्रारंभिक घर व पहचान





आर्यन्स चरवाहे थे यानी वे खेतीबाड़ी नहीं करते थे |





उन्होने कई  जानवर पाले थे परंतु घोड़े इनमें सबसे महत्वपूर्ण थे |





आर्यन्स ने अपनी यात्रा  पश्चिम एशिया से  भारत की ओर 200 B .C के उपरान्त शुरू की |





आर्यन्स का पहला पड़ाव भारत की यात्रा के दौरान ईरान था |





ऋग वेद





यह इंडो यूरोपियन भाषा की सबसे पुरानी पुस्तक है |





इसमें प्रार्थना का सार- संग्रह है, इसे दस किताबों या मण्डल  में विभाजित किया  गया है |





इसमें प्रार्थनाओं का संकलन है जिसे विभिन्न देवता जैसे अग्नि, वरुण, इन्द्र, मित्रा, इत्यादि को समर्पित किया गया है |





ऋग वेद ने अपने प्रसंग अवेस्ता, ईरनियों की सबसे पुरानी किताब जिसमें ईश्वर के विभिन्न नाम तथा कुछ सामाजिक वर्गों में बांटे हैं |





वैदिक काल में नदियाँ





पहले, आर्यन्स पूर्वी अफ़गानिस्तान, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में रहते थे |





कुछ नदियाँ जैसे कुम्भ, सरस्वती, सिंधु, और इसकी का ऋग वेद में उल्लेख किया गया है|





सप्त सिंधु या सात मुख्य नदियों के समूह का भारत के ऋग वेद में उल्लेख किया गया है |





वे सात नदियाँ शायद इन के बीच में थीं:

पूर्व में सरस्वती





पश्चिम में सिंधु





सतुद्रु (सतलुज)





विपासा (ब्यास)





असिक्नी(चेनाब)





परुषनी(रावी) और





वितस्ता( झेलम)





आदिवासी संघर्ष





आर्यन के प्रथम दस्ते ने भारत में लगभग 1500 B .C  में आक्रमण किया |





उन्हें भारत के मूल निवासियों जैसे दास व दस्यु से संघर्ष करना पड़ा|





हालांकि दास को आर्यन की तरफ से कभी भी आक्रमण के लिए उत्तेजित नहीं किया गया, पर दस्यु हत्या का ऋग वेद में बारबार उल्लेख किया गया है |





इन्द्र को ऋग वेद में पुरान्द्र के नाम से भी उल्लेख किया गया है जिसे किलों का भंजक भी कहा गया है |





पूर्व आर्यन के किलों का उल्लेख हरप्पा संस्कृति की वजह से भी किया गया है |





आर्यन मूल निवासियों पर इसलिए भी विजय प्राप्त कर पाये क्यूंकि उनके पास बेहतर हथियार,वरमान, तथा घोड़े वाले रथ थे |





आर्यन् दो तरह के संघर्षों  में व्यस्त रहे  एक तो स्वदेशी लोग व अपने आप में |





आर्यन को पाँच आदिवासी जातियों में विभाजित किया गया जिसे पंचजन कहा गया तथा गैर आर्यन की भी मदद प्राप्त की |





आर्यन गोत्र के शासक भरत व त्रित्सु थे जिन्हे वसिष्ठ पुरोहित मदद करते थे |





भारतवर्ष देश का नाम राजा भरत के ऊपर रखा गया





दसराजन युद्ध





भारत पर भरत गोत्र के राजा ने शासन किया तथा उन्हें दस राजाओं का विरोध भी झेलना पड़ा; पाँच आर्यन तथा पाँच गैर आर्यन|





इनके बीच में हुए युद्ध को दस राजाओं के युद्ध या दसराजन युद्ध के नाम से जाना  गया |





परुषनी या रावी नदी पर किया गया युद्ध सूद के द्वारा जीता गया |





बाद में भरत ने पुरू के साथ नाता जोड़ लिया जिससे कुरु नाम का नया गोत्र बना |





बाद के वैदिक युग में कुरु व पांचालों ने गंगा के ऊपरी पठारों की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जहाँ उन्होने एक साथ राज किया |




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